- आयोग की दलील कि बिना शादी अगर महिला किसी के साथ रहती है तो वह समाज में सम्मान का दर्जा नहीं पाती
- आयोग ने कहा- समाज में शादी की प्रकृति को लेकर साफ निर्देश होने चाहिए, जिससे महिला सम्मानपूर्वक जीवन जी
जयपुर. राजस्थान मानवाधिकार आयोग का मानना है कि लिव इन रिलेशनशिप से समाज में गंदगी फैल रही है। आयोग ने पत्र लिखकर राज्य सरकार को सुझाव दिया है कि लिव इन रिलेशनशिप पर तुरंत रोक लगाई जाए। राज्य इस संबंध में कानून बनाने के लिए केंद्र से भी अनुरोध कर सकता है।
आयोग के अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश टाटिया की तरफ से लिखे गए पत्र में कहा है कि लिव-इन रिलेशनशिप जैसे रिश्तों से महिलाओं को दूर रहने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए। सरकार अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए कानून बना सकती है।
इस पत्र में यह भी कहा है कि महिला सुरक्षा अधिनियम-2005 के तहत महिलाओं को ज्यादा सुरक्षित करने के उपायों पर विचार करते हुए मानवाधिकार आयोग ने पाया है कि इस अधिनियम में सुधार की जरूरत है। लिव-इन-रिलेशनशिप जैसे संबंधों को रोकने की जरूरत है।
आयोग का कहना- सुप्रीम कोर्ट भी सही नहीं मानता
आयोग के अनुसार समाज में शादी की प्रकृति को लेकर साफ निर्देश होने चाहिए, जिससे महिला सम्मानपूर्वक जीवन जी सके। अगर लिव-इन-रिलेशनशिप के संबंध राज्य में है तो उसे जल्द से जल्द पंजीकृत करवाए जाएं। मानवाधिकार आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए 57 पेज के पत्र में यह भी कहा है कि लिव-इन-रिलेशनशिप को सर्वोच्च न्यायालय ने भी सही नहीं माना है।
आयोग की दलील है कि बिना शादी के कोई महिला किसी के साथ रहती है तो वह कभी भी समाज में सम्मान का दर्जा नहीं पाती है। इसलिए किसी औरत को इस तरह से रखकर उसे बाद में छोड़ देना महिला स्वाभिमान और सुरक्षा पर हमला है। इसे रोकने के लिए प्रयास करने चाहिए।